'' हम आपके हैं दोस्त ''
१०० पृष्ठों की यह पुस्तक.मेरी दूसरी पुस्तक है ...९, १०, ११ जुलाई २०११ को पटना में आयोजित Anti Human Trafficking Workshop में मैंने बिहार के ४० पुलिस उपाधीक्षकों के साथ सहायक अभियोजन अधिकारी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बुलाया था..प्रतिभागियों को अनेक विशेषज्ञों ऩे क़ानून की जानकारी दी ..विषय के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पक्ष पर दिए अपने वक्तव्य में मैंने उन्हें बताया कि इस समय पुलिस के आधुनिकीकरण के पहले मानवीकरण की आवश्यकता है.,अपनी इस पुस्तक में मैंने क़ानून और प्रक्रिया के ज्ञान के साथ पुलिस अधिकारियों को यह बताया है कि उन्हें पहले अपने मन और मस्तिष्क की '' आतंरिक पुलिसिंग '' करनी होगी जिससे जिन प्रलोभनों के कारण वे अपनी शक्ति का प्रयोग सही तरीके से लोकहित में नहीं कर पाते हैं वह कर पायें.
अरविंद पाण्डेय
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